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Showing posts from August, 2019

Black Money : Will it ever be used for people's welfare?

काला धन : क्या कभी जनता की भलाई के लिये उपयोग हो पायेगा ? काला धन यानि कि किसी गैर कानूनी या फिर कानूनी तरीके से की गयी कमाई जिसे आयकर विभाग से छिपाकर रखा गया हो और जिस पर आयकर जमा ना किया गया हो। विगत कुछ वर्षों से ये दो शब्द भारत के जनमानस में चर्चा का विषय बने हुए हैं। एक स्वामी जी और एक समाज सुधारक ने इस मुद्दे को इतना उठाया कि देश भर की जनता का ध्यान इस पर गया और ये विषय बीते सालों में हुए कुछ आंदोलनों का मुख्य हिस्सा भी बन गया। लगभग सभी राजनितिक दलों ने काला धन रखने वालों को दण्डित करने और विदेशों में जमा काला धन भारत में वापस लाने के चुनावी वायदे किये पर इस वायदे को पूरा किसी ने नहीं किया। आंदोलन करने वाले स्वामी जी का व्यापर खूब अच्छे से चल पड़ा और समाज सुधारक को सक्रिय राजनिति में मत्वपूर्ण पद भी मिल गया। चुनाव जीतने के बाद सब इस विषय के ऐसे नकारने लगे जैसा कि और भी बहुत से चुनावी वायदों के साथ होता आया है। आखिर ऐसी भी क्या बात है इस काले धन में ? बात बिल्कुल सीधी सी है कि काला धन भ्र्ष्टाचार का ही दूसरा रूप है जिसकी जड़ें हमारी व्यवस्था में इतनी ...

Demonetization : How much successful in stopping corruption ?

नोटबंदी : भ्रष्टाचार रोकने में कितनी सफल ? लगभग तीन वर्ष पहले जब आठ नवम्बर २०१६ की शाम को माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने अचानक नोटबंदी की घोषणा की तो पूरा देश सकते में रह गया। उनका वक्तव्य पूरा होने से पहले ही कॅश डिपाजिट मशीनों के आगे लम्बी कतारें लग गयीं। सब हड़बड़ी में थे कि जल्दी से जल्दी अपने हजार और पाँच सौ रूपये के नोट अपने बैंक खातों में जमा कर दें। ये क्रम उसके बाद कई दिनों तक चला। जनता से लेकर बैंक अधिकारी तक सब परेशान हो गए। अचनाक से सौ, पचास, बीस और दस रूपये के नोटों तक की पूछ परख बढ़ गयी। बाजार में नकदी की कमी हो गयी। सरकार ने केवल चार हजार रूपये बैंक से निकालने का नियम बना दिया और वो भी मात्र दो हजार रूपये के दो नोट। हजार और पाँच सौ के पुराने नोट बंद होने के बाद इतने बड़े नोट के खुल्ले पैसे देना दुकानदारों के लिए भी मुश्किल हो गया। सबसे ज्यादा परेशानी शहरों में रहने वाले निम्न वर्ग और गाँवों में रहने वाले लोगों को हुई। जिन लोगों के बैंकों में खाते तक नहीं थे और जो मोबाइल फोन, स्मार्ट फोन इत्यादि चलाना नहीं जानते थे, वो लोग भला पेटीएम या नेट बैंकिंग स...

Marriage : It is time to have new laws for it.

विवाह : अब नए कानूनों की आवश्यकता है  यदि ये कहा जाये कि विवाह मनुष्य जीवन की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। विशेषकर सनातन हिन्दु धर्म में तो विवाह मनुष्य जीवन के सोलह संस्कारों में से एक है जो मनुष्य को गृहस्थ आश्रम में प्रवेश कराकर उसके पारिवारिक जीवन का प्रारम्भ करवाता है। परिवार ही समाज का आधार होता है। पारिवारिक जीवन की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए मनुष्य श्रम करता है। श्रम करने वाला मनुष्य कर के रूप में जो धन चुकाता है, उसी से शाषक पूरी जनता और राष्ट्र के विकास के लिए कार्य करते हैं। श्रम करके धन कमाने वाले मनुष्य की दान-दक्षिणा से ही धर्म-कार्य होते हैं और सन्यासी एवं ब्राह्मण वर्ग का जीवन-यापन होता है। महाभारत में तो ये भी कहा गया है कि धरती पर जितने भी कार्य होते हैं, उन सभी के मूल में गृहस्थ धर्म ही है। सनातन धर्म में मनुष्यों के लिए निर्धारित चार आश्रमों में से केवल गृहस्थ आश्रम ही ऐसा एकमात्र आश्रम है जिसमें मनुष्य धन कमाने के लिए उद्यम करता है। गृहस्थ आश्रम में ही मनुष्य विवाह करके संतान उत्पन्न करता है जो ...