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Showing posts from September, 2019

How to curb economic slowdown ?

आर्थिक मंदी को कैसे नियंत्रित किया जाये ? इस समय भारतीय अर्थव्यवस्था में आयी हुई मंदी को लेकर देश में तरह-तरह की चर्चायें हो रही हैं। विपक्ष इसे सरकार की नाकामी के रूप में प्रचारित कर रहा है। बहुत ना-नुकुर करने के बाद सरकार ने स्वीकार किया है कि इस समय अर्थव्यवस्था मंदी का सामना कर रही है और वित्तमंत्री जी ने इससे निपटने के लिए कुछ कदम उठाये हैं। पर अर्थशास्त्री उन्हें अपर्याप्त मानते हैं। आखिर क्या है ये मंदी और इससे देश की अर्थव्यवस्था कैसे प्रभावित होती है? सरल शब्दों में कहें तो जनता के पास धन की कमी ही आर्थिक मंदी है क्योंकि जनता के पास धन के कमी होने से उसकी क्रय शक्ति में कमी आती है जिससे वस्तुओं और सेवाओं का व्यापार कम हो जाता है और अंततः इससे कर संग्रहण में भी कमी आती है जिससे सरकारी खजाने में धन की कमी हो जाती है। अब यहाँ पर प्रश्न ये उठता है कि व्यवस्था में धन की कमी कैसे हो जाती है? यहाँ पर अर्थशास्त्र के एक बहुत ही साधारण से सिद्धांत पर गौर करना होगा। और वो यह है कि जिस प्रकार मनुष्य के शरीर में रक्त का महत्व होता है, वैसा ही महत्व समाज में धन का होता है। जैसे ...

Is increasing fines the only solution for road safety?

क्या सिर्फ जुर्माना बढ़ाकर दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है ? इस समय पूरे देश में नये मोटर व्हीकल एक्ट की चर्चा जोरों पर है। इसमें जुर्माने की राशि को इतने अतार्किक रूप से बढ़ा दिया गया है कि देश के कुछ राज्यों ने तो इसे लागू करने से साफ़ इंकार कर दिया है तो कुछ में अभी तक विचार-विमर्श चल रहा है। गुजरात ने तो इसे लागू करने के बाद भी जुर्माने की रकम में नब्बे प्रतिशत तक कटौती कर दी है। अपने पिछले लेख में मैंने इस नए अधिनियम की उपयोगिता की समीक्षा की थी। अतार्किक रूप से बढ़े हुए जुर्माने की रकम के कारण जनता को परेशानियाँ हो रही हैं। पूरे देश में इस अधिनियम के विरुद्ध लोग आवाज उठा रहे हैं। पर हर बार नितिन गडकरी जी यही तर्क देते हैं कि उनका उद्देश्य सड़क दुर्घटनाओं को रोकने का है। क्या वास्तविकता में केवल जुर्माने की रकम को बेहिसाब बढ़ाने से सड़क दुर्घटनाएं रुक जाएंगी और यातायात सुधर जाएगा? जमीनी हकीकत तो कुछ और ही बयाँ करती है।  सबसे पहले हम यदि सड़कों की बात करें तो उनकी खराब स्थिति के लिए किस पर जुर्माना लगाया जाये? गड्ढेदार ऊबड़-खाबड़ सड़कों के कारण कितनी दुर्घटनाएं हर साल होती हैं...

New Motor Vehicle Act : Monetary Torture on Public.

नया मोटर वाहन अधिनियम : जनता पर आर्थिक अत्याचार भारत की भाजपानीत केंद्र सरकार ने देश में १ सितम्बर २०१९ से नया मोटर वाहन अधिनियम लागू किया है। इस बिल के पास होने से पहले ही इस पर पूरे देश में चर्चाओं का बाजार गर्म था। अब इसके लागू होने के बाद से इस बिल की प्रासंगिकता पर बहस बढ़ गयी है। पश्चिम बंगाल, पंजाब और मध्य प्रदेश की सरकारों ने इस बिल के प्रावधान लागू करने से साफ इंकार कर दिया है। इस बिल में कुछ ऐसे विचित्र प्रावधान किये गए हैं कि जनता का एक बड़ा वर्ग इसका विरोध कर रहा है। उनमें सबसे मुख्य कारण है कि जुर्माने की राशि को बेहिसाब तरीके से बढ़ा दिया गया है। पहले जो जुर्माने की रकम न्यूनतम सौ रूपये से अधिकतम पाँच हजार रूपये तक थी अब उसे बढ़ाकर न्यूनतम पाँच सौ रूपये से अधिकतम एक लाख रूपये तक कर दिया गया है। बिना लायसेंस वाहन चलाने और रेड लाइट जम्प करने जैसे सामान्य अपराधों के लिए भी सजा का प्रावधान करके जुर्माने की रकम को बेहिसाब बढ़ा दिया गया है। पहले ही महँगाई की मार से परेशान जनता पर और अतिरिक्त आर्थिक बोझ लाद दिया गया है।  देश की आबादी बढ़ने के साथ ही देश में निजी...